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Aryapathhik Lekhram by स्वामी श्रीधनन्द

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Description

पंडित लेखराम आर्य (१८५८-१८९७), आर्य समाज के प्रमुख कार्यकर्ता एवं प्रचारक थे। उन्होने अपना सारा जीवन आर्य समाज के प्रचार प्रसार में लगा दिया। वे अहमदिया मुस्लिम समुदाय के नेता मिर्जा गुलाम अहमद से शास्त्रार्थ एवं उसके दुस्प्रचारों के खण्डन के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। उनका संदेश था कि तहरीर (लेखन) और तकरीर (शास्त्रार्थ) का काम बंद नहीं होना चाहिए। पंडित लेखराम इतिहास की उन महान हस्तियों में शामिल हैं जिन्होंने धर्म की बलिवेदी पर प्राण न्योछावर कर दिए। जीवन के अंतिम क्षण तक आप वैदिक धर्म की रक्षा में लगे रहे। पंडित लेखराम ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए हिंदुओं को धर्म परिवर्तन से रोका व शुद्धि अभियान के प्रणेता बने।
पंडित लेख राम (1858 – 1897) आर्य समाज के कट्टरपंथी विंग के नेता थे, एक भारतीय हिंदू सुधार आंदोलन, जो एक इस्लामी विरोधी लेखक के रूप में सक्रिय था।उन्हें विशेष रूप से मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद, अहमदिया आंदोलन के संस्थापक और उनकी मृत्यु भविष्यवाणी के विषय के रूप में उनके साथ सामना करने के लिए जाना जाता है।6 मार्च, 1897 को एक अज्ञात हमलावर द्वारा उनकी हत्या को अहमदी मुसलमानों द्वारा अहमद की भविष्यवाणी के अनुसार हुआ माना जाता है।पेशावर में शामिल होने के बाद आर्य समाज लेख राम ने सक्रिय रूप से समाज और वैदिक धर्म के सिद्धांतों का प्रचार करना शुरू किया। उन्होंने गौ-हत्या के खिलाफ भी बात की और सरकारी स्कूलों में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा दिया। वह एक उर्दू मासिक आर्य गजट के संपादक बने, और जल्द ही समाजवादियों के समूह का नेतृत्व किया जो अन्य धर्मों के प्रति उनके विरोध में अधिक कट्टर थे। लेखराम ने दयानंद सरस्वती की जीवनी लिखी उनके सभी 33 कार्यों को सामूहिक रूप से राय साहिब मुंशी गुलसिंह मुफिद अहमद प्रेस लाहौर (1903) के प्रिंटिंग प्रेस में महासेठ के देव सत्यता धर्म प्रचारक हरिद्वार द्वारा कुलायत ए आर्य मुसाफिर के नाम से प्रकाशित किया गया है।

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