सत्य की खोज Satya Ki Khoj
Description
पुस्तक का नाम – सत्य की खोज
लेखक – प्रो. सत्यव्रत सिद्धान्तालङ्कार
वेदों की शिक्षाएँ सार्वदेशिक, सार्वकालिक, मानवतावादी, प्रगतिशील, प्रेरणादायक, प्राचीनतम और मानव कल्याणकारी हैं। वे सभी तरह से भेद-भाव तथा साम्प्रदायिकता से रहित हैं। वेद सम्पूर्ण जीवन दर्शन का मार्ग सुस्पष्ट करते हैं।
लेखक ने वैदिक दृष्टिकोण को आधार बनाते हुए कई प्रश्नों का उत्तर प्रस्तुत किया है। अमूर्त ब्रह्म को सत्य बताते हुए, ईश्वर दर्शन का अभिप्राय अध्याय १ व २ में लेखक ने बताया है। कर्म स्वतन्त्रता के नियम का विवेचन “क्या हम भाग्य बदल सकते हैं” में किया है। सभ्यता और संस्कृति व आत्मा की आवाज (अंतःप्रेरणा) पर हृदय ग्राही लेख लिखे हैं। वित्त से व्यक्ति की तृप्ति नहीं होती इस विषय में लेखक ने मार्मिक लेख पुस्तक में दिया है। आचार्य चाणक्य के प्रत्यक्षवत् दर्शन करवाता लेख “यदि आचार्य चाणक्य प्रधानमंत्री होते” लिखा है। गीता के दो प्रसिद्ध श्लोक “यदा यदा हि …“ और तदात्मानम् से ऋषि दयानन्द का सम्बन्ध स्थापित कर ऋषि दयानन्द के आप्तत्व को दर्शाया है। इसी तरह यज्ञ, शरीर स्वास्थ्य, गुरुकुल पर लेख पुस्तक में लिखे हैं।
जिन्दगी के बिखरे फूल नामक एक अध्याय में लेखक ने अपनी जीवन गाथा का भी चित्रण किया हैं। लेखक की अन्य पुस्तकों की तरह यह पुस्तक भी विविध रंगों से भरी हुई अनेकों दार्शनिक गुत्थियों को सुलझाने वाली है। पाठक लेखक के इस श्रम से अवश्य लाभ लेंगे।
Shipping cost is based on weight. Just add products to your cart and use the Shipping Calculator to see the shipping price.
We want you to be 100% satisfied with your purchase. Items can be returned or exchanged within 30 days of delivery.
There are no question found.
Rating & Review
There are no reviews yet.