संस्कृत व्याकरण शास्त्र का इतिहास (2 भागों में) Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas (2 Volumes)
Description
ग्रन्थ परिचय – संस्कृत व्याकरण शास्त्र’ का इतिहास ( दो भागों में ●
● यह ग्रन्थ ‘संस्कृतव्याकरणशास्त्र’ का एक मात्र ऐतिहासिक ग्रन्थ है।
इस विषय की इतनी विस्तृत एवं प्रामाणिक सामग्री अन्यत्र दुर्लभ है।
इसमें पाणिनि से प्राचीन 23 वैयाकरणों, तथा उससे उत्तरवर्त्ती 18 वैयाकरणों, उन पर टीका-टिप्पणी लिखने वाले 100 से भी अधिक व्याख्याताओं का इतिहास लिखा है। तत्पश्चात् सभी व्याकरणों के धातुपाठ, उणादिसूत्र, लिङ्गानुशासन, परिभाषा-पाठ आदि के प्रवक्ताओं, व्याख्याताओँ, व्याकरण के दार्शनिक तथा काव्यप्रणेता वैयाकरणों का इतिवृत्त दिया गया है। इसीलिए अनेक विश्वविद्यालयों ने अपने पाठ्यक्रम के इतिहास विषय में इसे मुख्य अथवा सहायक ग्रन्थ के रूप में अपनाया है।
इसमें भारतीय कालगणनानुसार अत्यन्त सूक्ष्मेक्षिका से सभी आचार्यों एवं शास्त्रों के काल कानिर्धारण किया गया है। अतः जहां एक ओर पाश्चात्य तथा उनके अनुयायी तथाकथित इतिहासविदों ने भारतीय इतिहास को कलुषित एवं भ्रष्ट करके प्रस्तुत किया है, वहां यह ग्रन्थ इस विषय के वास्तविक स्वरूप को प्रकट करता है। म॰ म॰ पण्डित युधिष्ठिर जी मीमांसक के लगभग सत्तर वर्ष तक निरन्तर किये गए अथक परिश्रम का ही यह सुफल है।
वैदिक शोध में लगे विद्वानों और वेदाङ्ग के अध्येता छात्रों को भी इस ग्रन्थ के पढ़ने से अनुपम लाभ होगा।
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