शतपथ ब्राह्मण Shatpath Braahman
Description
पुस्तक का नाम – शतपथ ब्राह्मण
सम्पादक का नाम – स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती
वेद मन्त्रों में मनुष्य के लिए उपयोगी समस्त ज्ञान – विज्ञान निहित है। यह ज्ञान वेदों में अत्यन्त गूढ़ रूप में उपलब्ध है। इस ज्ञान को ऋषियों और महर्षियों द्वारा समस्त मानव जाति में विभिन्न साधनों द्वारा प्रचारित किया गया। इन वेदों के व्याख्य द्वारा तथा आख्यान और याज्ञिक शैलियों में मन्त्रों के अर्थों और रहस्यों को उद्घाटित किया गया। वेदों के ये ऋषिकृत व्याख्यान ब्राह्मण ग्रन्थ कहलाये। इन ग्रन्थों में वेद मंत्रों में निहित ज्ञान की आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधियाज्ञिक व्याख्या की गई है। इन्ही ब्राह्मणों ग्रन्थों में सृष्टि विज्ञान को द्रव्य यज्ञ के रूप में समझाया गया है जिससे कि श्रौतयज्ञों का प्रचलन शुरू हुआ। ब्राह्मण ग्रन्थ में न केवल कर्मकांड़ या आध्यात्मिक उपदेश है बल्कि ऋषियों और राजाओं के ऐतिहासिक विवरण भी उपस्थित है। यह ग्रन्थ उस समय की संस्कृति को भी दर्शाते है। इसीलिए ऋषि दयानन्द ने इन्हें इतिहास – पुराण भी कहा है।
प्रस्तुत ग्रन्थ शतपथ ब्राह्मण है जो कि वेदार्थ और कर्मकाण्ड़ का अतिप्राचीन और अत्यधिक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। यह महर्षि याज्ञवल्क्य और शाण्डिल्य मुनि की कृत्ति है। इस ग्रन्थ में 14 काण्ड़, 100 अध्याय और 7625 कण्डिकायें है। इसका अन्तिम काण्ड़ बृहदारण्यक उपनिषद के नाम से विख्यात् है।
प्रस्तुत शतपथ ब्राह्मण प्राचीन ग्रन्थ का अनुवाद मात्र है। इसमें अनुवादक ने बिना किसी पूर्वाग्रह और निष्पक्षता से शब्दशतः अनुवाद किया है। अतः इसमें उचित – अनुचित का ग्रहण करना पाठकों पर ही निर्भर करता है। हिन्दी अनुवादक का कर्तव्य केवल इतना है कि मूलग्रन्थ का सत्य – सत्य अनुवाद कर दे।
आशा है कि पाठक इस ग्रन्थ से लाभान्वित होंगे तथा शोधार्थियों के लिए यह ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा।
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