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ऋग्वेद संहिता Rigved Samhita

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Description

ऋग्वेद की संहिता को ‘ऋकसंहिता’ कहते हैं। वस्तुत: ‘ऋक’ का अर्थ है- ‘स्तुतिपरक मन्त्र और ‘संहिता’ का अभिप्राय संकलन से है। अत: ऋचाओं के संकलन का नाम ‘ऋकसंहिता’ है। ऋक की परिभाषा दी जाती है- ऋच्यन्ते स्तूयन्ते देवा अनया इति ऋक ; अर्थात जिससे देवताओं की स्तुति हो उसे ‘ऋक’ कहते हैें। एक दूसरी व्याख्या के अनुसार छन्दों में बंधी रचना को ‘ऋक’ नाम दिया जाता है। ब्राह्रण ग्रन्थों में ऋक को ब्रह्म, वाक, प्राण, अमृत आदि कहा गया है जिसका तात्पर्य यही है कि ऋग्वेद के मन्त्र ब्रह्म की प्रापित कराने वाले, वाक की प्रापित कराने वाले, प्राण या तेज की प्रापित कराने वाले और अमरत्व के साधन हैं। सामान्य रूप से इससे ऋग्वेद के मन्त्रों की महिमा का ग्रहण किया जाना चाहिए।

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