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गंगा ज्ञान सागर Ganga Gyan Sagar

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Description

पुस्तक का नाम – गंगा ज्ञान सागर

संग्रहकर्त्ता का नाम – प्रो. राजेन्द्र जिज्ञासु जी

पं. गंगाप्रसाद उपाध्याय धर्म व दर्शन के विषय पर लिखने वाले विश्वप्रसिद्ध लेखकों में से एक है। पंडित जी की कृतियाँ विचारोत्तेजक, मौलिक व अत्यन्त रोचक हैं। पंडित जी की कृति बालकों, युवकों, ग्रामीणों, विद्वानों, विदेशियों सभी के लिए है। उपाध्याय जी ने अनेकों दीर्घ, लघु पुस्तकों की रचना की थी। ये सभी पुस्तकें दार्शनिक, धार्मिक, व्यवहारिक ज्ञान से ओतप्रोत होती है। उपाध्याय जी की अनेकों पुस्तकें आज अत्यन्त ही दुर्लभ एवं अप्राप्य है। जिससे पाठकगण उनके अनेकों साहित्यों के अवलोकन से वंचित रह जाता है। अतः इस समस्या के समाधानार्थ श्री राजेन्द्र जिज्ञासु जी ने गंगाप्रसाद उपाध्याय जी की अत्यन्त महत्वपूर्ण कृतियों का संग्रह करके प्रस्तुत ग्रंथ समुच्चय “गंगा ज्ञान सागर” में प्रकाशित करवाया है। प्रस्तुत ग्रंथ गंगा ज्ञान अपने नाम के अनुरुप ही ज्ञान का सागर है। प्रस्तुत ग्रंथ चार भागों में विभक्त है जिसमें दुर्लभ लेखों के संग्रह के साथ – साथ अन्य भाषा में प्रकाशित साहित्यों का हिन्दी अनुवाद भी संग्रहित है जैसे – तृतीय भाग में बारी तआला नामक उर्दू साहित्य का हिन्दी अनुवाद आस्तिकता भी दिया गया है। इन भागों में प्रसिद्ध साहित्य धर्म सुधासार, कर्मफल सिद्धान्त, मैं और मेरा भगवान, जीवात्मा, कलादेवी की सच्ची कहानी संग्रहित है। उपाध्याय जी के अलावा श्री राजेन्द्र जिज्ञासु जी ने अपना एक नया लेख “मेरा वह लेख जिसे पढ़कर वे फड़क उठे” भी संग्रहित है। इन ग्रंथ समुच्चयों की छपाई शुद्ध एवं सुन्दर है। पुस्तक का आकार मनोहर है। लेखों के आरम्भ में जिज्ञासु जी की टिप्पणियाँ अत्यन्त ज्ञानवर्द्धक तथा विद्वत्तापूर्ण है। इन सभी पुस्तकों को आर्यसमाज के पुस्तकालयों में संग्रह होना चाहिये तथा सभी विचारशील पाठकों को इनका स्वाध्याय करना चाहिये।

गंगा ज्ञान सागर
4 भागों में उपलब्ध |

गंगा ज्ञान सागर
✍? प्रा॰ राजेंद्र “जिज्ञासु”

⚜️ग्रंथ परिचय⚜️

गंगा – ज्ञानसागर के प्रथम भाग में जो विविधता है . आर्य सामाजिक साहित्य में अन्यत्र यह कम ही मिलेगी । वैदिक धर्म के सब मूलभूत सिद्धान्तों पर आपको गंगा प्रसाद उपाध्याय जी का कोई लेख , टैक्ट या पुस्तक अवश्य मिलेगी । धर्म , दर्शन अघ्यात्म सगंठन , मत पंथो पर तुलनात्मक विचार व इतिहास आदि विषयों पर मौलिक व खोजपूर्ण सामग्री पाठकों तक पहुंचाई गई है ।

उपाध्याय जी शुष्क से शुष्क विषय को रोचक शैली में लिखकर अपने पाठकों को हृदयंगम करवाने में सिद्धहस्त थे । वे विविध शैलियों में लिखने में सक्षम थे । प्रश्नोत्तर शैली , संवाद शैली , कथा शैली , प्रवचन शैली , व्याख्यान शैली इत्यादि कई प्रकार से आपने लिखा । जीवनी साहित्य के सृजन में भी आपने कई कीर्तिमान स्थापित किये । मनुस्मृति आदि कई ग्रन्थों की पाण्डित्यपूर्ण टीकायें लिखीं ।

यहां यह बताने की आवश्यकता नहीं कि आर्य सामाजिक साहित्य में आज तक किसी भी अन्य विद्वान् के मरणोपरान्त उसके साहित्य की इतनी बड़ी ग्रन्थमाला नहीं छप सकी । स्वामी दर्शनानन्द जी के ग्रन्थ संग्रह से भी बड़ा गंगा – ज्ञानसागर का प्रथम भाग आपके हाथों में है ।

देश भर से प्रादेशिक भाषाओं में उपाध्याय जी के साहित्य के अनुवाद की मांग मुझ से बराबर की जा रही है ।
हमने उपाध्याय जी के साहित्य की एक एक पंक्ति को उनके सम्पूर्ण साहित्य की छाया में समझने के लिए जीवन खपाया है । पाठकों को उनके साहित्य का मर्म बताने का भरपूर प्रयास किया है । उपाध्याय जी के प्रकाशक व हिन्दी पत्रों के सम्पादक उर्दू फारसी नहीं जानते थे । उपाध्याय जी इन भाषाओं के भी मर्मज्ञ थे । उनके साहित्य व लेखों में उर्दू फारसी के शब्द व पद्य अशुद्ध छपते रहे । उपाध्याय जी के पास पूफ देखने का समय ही कहा था ?

हमने सब अशुद्धियां दूर करने का अथक प्रयास किया है । प्रमाणों के मिलान व उनके आते पते भी ठीक करने का यत्न किया । जिन प्रमाण के पते नहीं थे , वे भी खोज खोज कर दिये हैं । यत्र तत्र सर्वत्र शीर्षक उपशीर्षक देकर लेखक व गन्थमाला की गरिमा के अनुरूप श्रम किया है । प्रत्येक भाग में उपाध्याय जी का हस्तलेख व उपाध्याय जी पर नया गीत हमने दिया है । हमारे प्रयास में दोष भी यदि हैं तो हमें कृपया सुझावें ।

इस ग्रन्थमाला को पढ़कर अनेक पाठकों में वैदिक धर्म के प्रति आस्था व विश्वास बढ़ा है ।

विनीत : राजेन्द्र जिज्ञासु

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Settingsगंगा ज्ञान सागर Ganga Gyan Sagar removeTHE ESSENCE OF SATYARTH PRAKASH by J M Mehta (Author) removeVidhyarthi Lekhavali by परमहंस स्वामी जगदेशवानन्द सरस्वती removeArya Samaj ke 10 Niyam ki Vyakhya(आर्य समाज के 10 नियमों की व्याख्या) removeAryapathhik Lekhram by स्वामी श्रीधनन्द removeBodh Kathayein( बोध कथाएं) (Hindi, Paperback) by अशोक कौशिक remove
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Description
  • By :Pandit Gangaprasad Upadhyay
  • Subject :Various Vedic Subjects
  • Category :Research
  • Edition :N/A
  • Publishing Year :2018
  • SKU# :N/A
  • ISBN# :VOL-I: 9788170772583, VOL-II: 9788170772569, VOL-III: 9788170772576, VOL-IV
  • Packing :4 Volumes
  • Pages :2054
  • Binding :Hard Cover
  • Dimentions :9.50 X 7.50 INCH
  • Weight :4 GRMS
Author
Ashok kaushik
  • Language: Hindi
  • Binding: Paperback
  • Genre: Short Stories
  • ISBN: 9788170780113, 817078011X
  • Edition: 2017
  • Pages: 160
Weight
DimensionsN/AN/AN/AN/AN/AN/A
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