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ऋषि दयानन्द सरस्वती के ग्रन्थों का इतिहास Rishi Dayanand Sarswati ke Granthon ka Itihas

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Description

महर्षि दयानन्द ने वेदोक्त धर्म विषयक उपर्युक्त जो साहित्य लिखा है वह संसार के सभी मताचार्यों में सर्वाधिक है। ईश्वर, जीवात्मा व सृष्टि विषयक शायद् ही कोई ऐसा विषय या प्रश्न हो, जिसकों उन्होंने स्वयं प्रस्तुत कर उसका समाधान न किया हो। महर्षि संसार में केवल एक वेदोक्त धर्म को ही ईश्वर प्रदत्त, पूर्ण सत्य व संसार के लिए सभी मनुष्यों के लिए कल्याणकारी व आचरणीय मानते थे। उन्हें उपासना की भी एक ही पद्धति ‘वैदिक योग पद्धति’ मान्य थी। अन्य किसी पद्धति से उपासना करने पर वह फल प्राप्त नहीं हो सकता जो कि योग की ध्यान व समाधि विधि के द्वारा उपासना करने से होता है। महर्षि दयानन्द ने जो विपुल धर्म विषयक साहित्य लिखा है वह आज भी प्रासंगिक व उपयोगी है और हमेशा रहेगा। न केवल भारत के सभी लोग अपितु विश्व के सभी लोग श्रद्धाभाव से उसका अनुशीलन कर उसे आचरण में लाकर अपने जीवन को उपासना के मार्ग पर अग्रसर कर इससे मनुष्य जीवन के लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं। जीवन की लक्ष्य प्राप्ति का एक ही मार्ग है और वह है महर्षि दयानन्द प्रदर्शित वेदोक्त मार्ग। इस साहित्य में हमने महर्षि दयानन्द जी के ग्रन्थों का परिचय कराने का कार्य किया है।

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